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An Unbiased View of hanuman chalisa lyrics

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कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥ कीजै नाथ हृदय महँ डेरा ॥४०॥ ॥दोहा॥ पवनतनय सङ्कट हरन मङ्गल मूरति रूप । मीठे रस से भरी रे, राधा रानी लागे,मने कारो कारो जमुनाजी रो पानी लागे लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट से मोहि आन उबारो॥ गवालिन मस्तानी, गवालिन https://hindubhajan.in/navratri/

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