सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥ श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान। किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी॥ सांचों थारो नाम हैं सांचों दरबार हैं - भजन देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥ धन निर्धन को देत सदा हीं। https://jaibhole.co.in/home/Shree-Shiv-Chalisa